
किसी भी कप्तान के लिए लगातार जीत किसी खुशी से कम नहीं होती और यह लाजमी भी है. मगर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली पर शायद यह बात लागू नहीं होती दिख रही है. भले ही विराट कोहली को टेस्ट, टी-20 और वन-डे सीरीज में जीत की खुशी हो है, मगर उनके दिल में एक दर्द भी छिपा हुआ है. यह सुनकर आप एक बार जरुर हैरान हो जाएंगे. दरअसल वन-डे सीरीज में जीत दर्ज करने के बाद विराट कोहली के सामने दो सवाल खड़े हो गए है. एक तो विराट के दोस्त के.एल. राहुल और दूसरे उनके संकटमोचन ऋषभ पंत. सवाल ऐसा है कि विराट बुरी तरह उलझे हुए हैं. हालांकि इसका जवाब कुछ महीनों में मिल जाएगा, जानिए कैसे?
बता दें, युवा विकेटकीपर और सलामी बल्लेबाज ऋषभ पंत लंबे वक्त से वन-डे टीम का हिस्सा नहीं थे. हालांकि इन सबके बावजूद ऑस्ट्रेलिया दौर पर भी उन्हें टेस्ट सीरीज में खिलाया गया था. कप्तान विराट कोहली ने ऐसा कदम इसलिए उठाया था क्योंकि सीमित ओवर प्रारूप में उन्होंने के.एल. राहुल को विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी सौंप दी थी. इससे टीम की बल्लेबाजी को गहराई मिली, तो एक अतिरिक्त बल्लेबाज या गेंदबाज खिलाने की आजादी भी. वन-डे मैच में शिखर धवन और रोहित शर्मा की ओपनिंग के बाद तीसरा नंबर पर विराट कोहली का रहता था और चौथा श्रेयस अय्यर का और पांचवां के.एल. राहुल का. 6वें नंबर पर हार्दिक पंड्या तो 7वें पर रवींद्र जडेजा. ऐसे में बाकी 4 स्थानों पर गेंदबाजों का कब्जा रहता था.
हालांकि ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टेस्ट सीरीज में धमाल मचाने के बाद ऋषभ पंत ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट के अलावा टी-20 और वन-डे सीरीज में भी अपने बल्ले से जमकर तबाही मचाई है तो उन्हें किसी भी प्रारूप में प्लेइं-11 से बाहर नहीं रखा जा सकता. वहीं के.एल. राहुल ने भी इंग्लैंड के खिलाफ वन-डे सीरीज में शतक के साथ जोरदार वापसी की. पंत ने तीन मैचों की सीरीज में दो मैच खेले. दूसरे वन-डे में 3 चौकों और 7 छक्कों की मदद से 40 गेंद में 77 रनों की पारी खेली. वहीं तीसरे वन-डे में 62 गेंदों पर 78 रन बनाए, जिसमें 5 चौके और 4 छक्के शामिल रहे.
ऐसे में अब विराट कोहली के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऋषभ पंत को किसी खिलाड़ी की जगह प्लेइंग-11 में मौका दिया जाए और किस तरह अपने दोस्त के.एल. राहुल की नई भूमिका तय की जाए. अब या तो पंत को खिलाने के लिए किसी बल्लेबाज को अपनी बलि देनी होगी या फिर किसी गेंदबाज को. अगर गेंदबाज की जगह पंत को शामिल किया जाता है तो फिर इसका यह मतलब हुआ कि टीम इंडिया तीन विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ जडेजा और हार्दिक के तौर पर दो ऑलराउंडरों के साथ खेलेगी. जिसकी संभावना कम ही लगती है. अब इसका सवाल तो तब ही मिल पाएगा. जब भारतीय टीम दो महीने के आईपीएल के बाद टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल और फिर इंग्लैंड में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के बाद सीमित ओवरों की सीरीज में उतरेगी. अब तो आने वाला वक्त तय करेगा भारतीय कप्तान विराट कोहली का क्या जवाब रहता है.
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