
उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक विकराल बाढ़ आ गई. ग्लेशियर टूटने के बाद आई तबाही के दौरान पानी का गुबार इतना भीषण था कि तपोवन का बांध पूरी तरह साफ हो गया. इस डैम की लोकेशन से जो शुरुआती तस्वीर सामने आई है, उसमें कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है.
ग्लेशियर टूटने के चलते धौली गंगा और ऋषि गंगा के संगम पर तपोवन हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है. इस प्रोजेक्ट को ऋषि गंगा परियोजना भी कहा जाता है. तपोवन के पास मलारी घाटी के प्रवेश द्वार पर दो पुलों को भी ग्लेशियर टूटने से भारी नुकसान हुआ है. घाटी में नदी के किनारे जो निर्माण कार्य चल रहा था वो और वहां मौजूद झोपड़ियां पूरी तरह से तबाह हो गई हैं. वायु सेना द्वारा शेयर की गई तसवीरों में देखा जा सकता है कि नंदा देवी ग्लेशियर के प्रवेश द्वार से लेकर पिपलकोटी और चमोली के साथ-साथ धौलीगंगा और अलकनंदा तक भारी नुकसान हुआ है.
जोशीमठ में टनल में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए राहत और बचाव कार्य चल रहा है. ITBP देहरादून के सेक्टर हेडक्वार्टर डीआईजी अपर्णा कुमार ने बताया कि बड़ी टनल को 70-80 मीटर खोला गया है, जेसीबी से मलबा निकाल रहे हैं. यहां कल से 30-40 कर्मी फंसे हुए हैं. आईटीबीपी, उत्तराखंड पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना यहां संयुक्त ऑपरेशन कर रही है. क़रीब 153 लोग लापता हैं.
परियोजना के महाप्रबंधक अहिरवार ने कहा कि जलविद्युत परियोजना क्षेत्र की एक सुरंग में श्रमिकों एवं अन्य कर्मचारियों समेत करीब 30-35 लोगों के फंसे होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि सुरंग को खोलने के लिए मलबे को हटाने के वास्ते जेसीबी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है।