
30 अक्टूबर, 2022 को गुजरात के मोरबी जिले में हुए हैंगिंग ब्रिज हादसे की पुलिस द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में कई बड़े खुलासे हुए है. 1,200 पन्नों की चार्जशीट में लिखा है कि ब्रिज के 49 में से 22 केबल में जंग लगा हुआ था और कुछ पहले से भी टूटे हुए थे.
बता दें, पुलिस द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में ओरेवा ग्रुप के मालिक जयसुख पटेल को प्रमुख आरोपी बनाया गया है. चार्जशीट पर जयसुख पटेल पर आरोप है कि उन्होंने सभी शर्तों का उल्लंघन किया. यहां तक कि चंद पैसे कमाने की लालच में मेंटेनेंस तक ठीक से नहीं करवाया. पुल के नीचे नदी होने के बावजूद नाव, तैराक, लाइफ जैकेट, इमरजेंसी मेडिकल टीम, डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान तक तैयार नहीं थे.
मोरबी हादसे पर पुलिस की चार्जशीट में आगे लिखा है कि ब्रिज के 49 में से 22 केबलों पर जंग लग चुका था और कुछ पहले से टूटे हुए थे. जयसुख पटेल ने पैसे बचाने के चक्कर में ब्रिज का टेक्निकल इंस्पेक्शन भी नहीं कराया था. इतना ही नहीं झूलते पुल का टेक्निकल ज्ञान नही होने के बावजूद अक्षम लोगों को मेंटेनेंस का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था.
जानिए पूरा मामला
बता दें, गुजरात के मोरबी जिले में स्थित हैंगिंग ब्रिज के टूटने से 134 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, 170 लोगों को रेस्क्यू कर नदी से निकाला गया था. वहीं, इस हादसे में दर्जनों लोग घायल हुए थे. ब्रिज ज्यादा पुराने होने की वजह से लोगों का वजन नहीं झेल पाया और ब्रिज की केबल ब्रेक हो गई. जिससे ब्रिज के सभी लोग नदी में गिर गए. इसमें 134 लोगों की मौत हो गई थी और कुछ का बचा लिया गया था. वहीं, मोरबी हादसे को लेकर रखरखाव करने वाली एजेंसी के खिलाफ 304, 308 और 114 के तहत क्रिमिनल केस दर्ज किया गया था.
दरअसल, ब्रिटिश काल के दौरान बना मोरबी हैंगिंग ब्रिज 100 से भी ज्यादा साल पुराना था. राजा-महाराजाओं के समय का हैंगिंग ब्रिज ऋषिकेश के राम-झूला और लक्ष्मण झूला पुल की तरह ही झूलता था. इसलिए इसे हैंगिंग ब्रिज कहा जाता था. इस ब्रिज पर जाने के लिए टिकट लगता था. गुजराती नव वर्ष पर महज 5 दिन पहले ही रिनोवेशन के बाद चालू किया गया था. ब्रिज को चालू करने के बाद लोग यहां घूमने आए, लेकिन उस दौरान बड़ा हादसा हो गया. जिसमें कई लोगों की मौत हो गई.