नंदा देवी ग्लेशियर टूटने के बाद RSS कार्यकर्ताओं ने लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाई? जानिए वायरल दावे की हकीकत

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सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर

सोशल मीडिया पर RSS कार्यकर्ताओं की एक तस्वीर वायरल हो रही है. इस तस्वीर को बीजेपी प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट के साथ शेयर की है. तस्वीर में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि पहाड़ों के बीच RSS कार्यकर्ताओं राहत सामग्री लेकर जाते हुए दिखाई दे रहे है. तस्वीर के साथ एक पोस्ट लिखा है चमोली तपोवन के लगभग 13 गांव के तो अवशेष ही बचे है, पुल बह चुके है. सड़कों का नामोनिशान नहीं है, ऐसे में खाद्यों से भरी बोरियां कंधे पर उठाकर स्वयंसेवकों ने मोर्चा संभाला है, ताकि कोई भूखा ना सोए, ना ही कोई बीमारी से मरे.'

यह पोस्ट अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी तेजी से शेयर की जा रही है.

इस पोस्ट को एक्टर से पॉलिटिशियन बने परेश रावल ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया है.


क्या है वायरल पोस्ट का सच?

जब हमने वायरल हो रही पोस्ट और तस्वीर की हकीकत जानने के लिए इंटरनेट पर सर्च किया तो, हमें यह तस्वीर एक न्यूज वेबसाइट पर खबर के साथ मिली.

खबर के मुताबिक, ये फोटो उत्तराखंड की है, जिसे 2013 में पब्लिश किया गया था. 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के दौरान RSS के स्वयंसेवकों ने कई जगह कैंप लगाकर पर्यटकों और स्थानीय लोगों की मदद की थी.

फिर हमने इस वायरल तस्वीर को अलग-अलग की-वर्ड्स सर्च किया, तो हमें 1 जुलाई 2013 के एक ब्लॉगपोस्ट में भी ये तस्वीर मिली.

19 जून 2013 की RSS की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड में आई इस कुदरती आपदा के दौरान बचाव कार्य में सेना के साथ RSS और VHP ने भी हिस्सा लिया था. द हिन्दू ने भी 26 जून 2013 को इस बारे में खबर दी थी.

RSS से जुड़े राजेश पदमर ने 20 जून 2013 की प्रेस रिलीज ट्वीट की थी. इस प्रेस रिलीज़ में बताया गया है कि उत्तराखंड में उस वक़्त आई बाढ़ के दौरान स्वयंसेवक हर रोज जरुरी खाने की चीजें बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंचाते थे.

लिहाजा हमारी पड़ताल में साफ हो गया कि सोशल मीडिया पर RSS के स्वयंसेवकों की वायरल फोटो 2013 की है. जिसे हाल ही में ग्लेशियर टूटने की घटना से जोड़कर वायरल किया जा रहा है.

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