
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लेकर पूर्व नौकरशाहों और जजों के दो समूह आमने-सामने आ गए हैं. 75 पूर्व नौकरशाहों को 180 के समूह ने मसखरों की टोली कहकर संबोधित किया है.
समूह ने यह भी अपील की कि राष्ट्र-विरोधी षड्यंत्रकारियों और अवसरवादी नेताओं के चंगुल में फंसने की बजाय सभी को बातचीत के जरिये मुद्दे के सौहार्द्रपूर्ण समाधान के लिए काम करना चाहिए. इस बयान पर राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अनिल देव सिंह, केरल के पूर्व मुख्य सचिव आनंद बोस, जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एस पी वैद, एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) दुष्यंत सिंह, एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) आर पी मिश्रा ने भी हस्ताक्षर किए हैं.
कुछ दिन पहले 75 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने एक खुले पत्र में आरोप लगाया था कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के प्रति केंद्र का दृष्टिकोण प्रतिकूल और टकराव वाला रहा है. अब इसके जवाब में 180 रिटायर्ड नौकरशाहों और जजों के समूह ने दावा किया है कि किसानों के आंदोलन को खत्म कराने के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बारे में कानूनी आश्वासन देने और कृषि कानूनों को 18 महीनों के लिए निलंबित करने का एक मध्य मार्ग सुझाया है.
जवाब देने वाले 180 लोगों में रॉ के पूर्व चीफ संजीव त्रिपाठी, पूर्व सीबीआई निदेशक नागेश्वर राव और एसएसबी के पूर्व महानिदेशक एवं त्रिपुरा के पूर्व पुलिस प्रमुख बी एल वोहरा भी शामिल हैं.
फोरम ऑफ कंसर्नड सिटीजन्स