
लाल किले पर हुई हिंसा के मामले में जिस शख्स के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप लगा है. वो पंजाब का रहने वाला लक्खा सिधाना है. एक जमाने में सिधाना अपराध की दुनिया का सबसे बड़ा नाम हुआ करता था बाद में उसने अपनी राजनीति पकड़ बनाई और फिर अपराधी से समाजसेवा के कामों में लग गया. पंजाब के बठिंडा का रहने वाला लक्खा कबड्डी का खिलाड़ी भी रह चुका है. खेल से अपराध और फिर राजनीति में आने वाले लक्खा ने किसान आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. अब दिल्ली हिंसा को भड़काने में भी सिधाना का नाम सामने आ रहा है. सिधाना पर आरोप है कि उसने प्रदर्शनकारी किसानों को भड़काया, जिसके चलते प्रदर्शनों का हिंसक रूप सामने आया.
दर्जनों केस दर्ज हैं लक्खा सिधाना पर
मूलरुप से बठिंडा के सिधाना गांव का रहना वाला लक्खा सिधाना का पूरा नाम लखबीर सिंह लक्खा हैं. उस पर पंजाब में अलग-अलग धाराओं में कुल 25 आपराधिक केस दर्ज हैं. इनमें हत्या से लेकर हत्या के प्रयास, किडनैपिंग और आर्म्स ऐक्ट तक के मामले शामिल हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि सिधाना ने पटियाला स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी से ह्यूमैनिटीज में ग्रैजुएट किया है और सामाजिक कार्यों के लिए अपराध की दुनिया छोड़ने की भी बात कही है.
लक्खा सिधाना फिलहाल गांवों में सामाजिक कल्याण का काम करने वाले मालवा यूथ फेडरेशन का मुखिया है, उसने 2011 में पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब भी जॉइन की थी, हालांकि 2013 में उसने पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद से ही मालवा क्षेत्र में उसने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की लड़कियों की शादी कराने से लेकर उनके परिवारों को पैसे मुहैया कराने तक का काम किया है.
सिधाना का नाम अक्टूबर 2017 में तब उछला था, जब उसने अंग्रेजी के साइनबोर्डों को पंजाबी में करवाने की मांग रखी थी. उसे गिरफ्तार कर फरीदकोट की जेल में भेज दिया गया था, जहां से उसने फेसबुक लाइव के जरिए किसानों से पराली ना जलाने की अपील की थी. इसके बाद उसके बैरक में एक सेलफोन बरामद हुआ था और उस पर धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ था. मई 2019 में उसके साथ 60 अन्य लोगों को बादल गांव में प्रदर्शन के दौरान हत्या की कोशिश के आरोप में जेल में बंद कर दिया गया था.
ट्रैक्टर रैली हिंसा को भड़काने से किया इनकार
लक्खा सिधाना ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर बेबुनियाद बताया है. लक्खा का कहना है कि मंगलवार को जो कुछ भी हुआ, उससे उसे चोट पहुंची है. 40 वर्षिय के लक्खा ने कहा, “मेरे खिलाफ कोई वीडियो या फोटो में सबूत नहीं है, जिससे यह कहा जा सके कि मैंने लोगों को भड़काया. हम आउटर रिंग रोड पर किसान नेताओं के साथ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। हमारा कभी भी लाल किले पर जाने का एजेंडा नहीं था.”
बता दें, सिधाना ने 26 जनवरी को हुई हिंसा के लिए सरकार और पुलिस को आरोपी ठहरा दिया. साथ ही कहा कि उसने हमेशा आंदोलन के शांतिपूर्ण रहने की वकालत की थी. 26 नवंबर से ही सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे सिधाना ने एक्टर दीप सिद्धू के साथ स्टेज शेयर करने के आरोपों को भी नकार दिया. सिधाना ने दावा किया कि करीब 20 किसान नेता अपने दलों के साथ आउटर रिंग रोड तक गए और जल्द ही वापस लौट आए। उसने कहा कि ज्यादातर लोग रिंग रोड तक ही जाने के पक्षधर थे, क्योंकि दो जनवरी और फिर 17 जनवरी को किसान यूनियनों ने इसी का ऐलान किया था.